जापानी संसद में गुरुदेव ने योग क्लब का उद्घाटन किया | Gurudev inaugurates Yoga Club in Japanese Parliament

आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्य | Updated: | 1 min read


जापानी संसद में गुरुदेव ने योग क्लब का उद्घाटन किया | Gurudev inaugurates Yoga Club in Japanese Parliament  

योग से संबंधित एक और बड़ी घटना उस समय घटित हुई जब वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र अर्थात जापान के संसद में पहली बार योग को शामिल किया गया। राजनीतिक गठजोड़ करने वाले कानून निर्माता अब योग को बढ़ावा देने वाले एक ऐसे संसदीय दल का भाग बनेंगे जिसका उद्घाटन आज गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने किया।

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टोक्यो, जापान
5 अप्रैल, 2017

योग से संबंधित एक और बड़ी घटना उस समय घटित हुई जब वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र अर्थात जापान के संसद में पहली बार योग को शामिल किया गया। राजनीतिक गठजोड़ करने वाले कानून निर्माता अब योग को बढ़ावा देने वाले एक ऐसे संसदीय दल का भाग बनेंगे जिसका उद्घाटन आज गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने किया। पहले दिन ही, सौ से अधिक संसद सदस्य योग को बढ़ावा देने के लिए संसदीय दल में शामिल हो गए।

इस उद्यम के प्रेरणास्रोत आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी का स्वागत करते हुए जापान-भारत सांसद मित्र दल के प्रमुख माननीय होसोदा हिरोयूकी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ज्‍यादा से ज्‍यादा सांसद इसका लाभ उठाएंगे।

गुरुदेव ने एकत्रितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि “योग जापान के लिए नया नहीं है, लेकिन हमें इसे फिर से पुनर्जीवित करने की जरूरत है। योग न केवल व्यक्तिगत स्तर पर सहायक है बल्कि समाज की सभी बुराइयों को भी दूर कर सकता है। कानून निर्माताओं और निर्णयकर्ताओं के लिए, योग और ध्यान मानसिक स्पष्टता, अंतर्ज्ञान क्षमता, उच्‍च जागरूकता प्रदान करने के साथ-साथ दबाव से बाहर आने में भी सहायता करेगा।”

संसद के वरिष्ठ सदस्य हकूबून शिमोमूरा ने कहा कि जापानी जनता  ‘ओम शिंक्रियो’ जैसे संप्रदायों से काफी प्रभावित हो गई थी और इसने लोगों को योग से दूर कर दिया था। गुरुदेव श्री श्री के कारण लोगों में पुन: प्रामाणिक योग के प्रति विश्वास पैदा होगा।

जापान में भारत के राजदूत श्री सुजान शेनॉय ने कहा कि गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी का जापान आना आम जनता के मध्‍य योग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

योग, जापान के लोगों को कैसे लाभ पहुँचा सकता है, के बारे में बोलते हुए श्री श्री ने हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण का उल्‍लेख किया जिसके अनुसार २५% जापानी वयस्कों ने आत्महत्या करने पर विचार किया था। इसके बाद श्री श्री ने कहा कि प्राणायाम, श्वासन क्रियाएं एवं ध्यान निश्चित रूप से उच्च आत्मघाती प्रवृत्तियों को समाप्‍त करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कैदियों, पुलिस बल, स्कूल शिक्षकों और कॉलेज के छात्रों को योग से बहुत फायदा होगा।

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