अवसाद से गहरी प्रसन्नता की ओर | From Depression to Deep Happiness

एक बार एक व्यक्ति डॉक्टर के पास गया और शिकायत की कि उस,के साथ कुछ गलत हो रहा है। उसके पूरे शरीर में तकलीफ़ हो रही थी और वह बहुत दुखी था। परंतु उसके सारे परीक्षण सामान्य थे। डॉक्टर ने कहा,” तुम्हारे...

अशांति के मध्य शांति : एक अनुभव ईराक में | Iraqis Experience Peace Amidst Turmoil

इतने वर्षों से ईराक के लोग जो यातना झेल रहे हैं, उसकी तीव्रता को समझना कठिन है। वर्तमान अस्थिरता से कठिनाइयां बढ़ ही रही हैं। वर्तमान साम्प्रदायिक विभाजन से अनिश्चित भविष्य ही दिख रहा है। आज ईराक...

प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह : कुछ विचार | Reflections on Prime Minister Modi’s Swearing in Ceremony

सार्वजनिक कार्यक्रमों में रस्में तथा शिष्टाचार विधियाँ आवश्यक रूप से सम्मिलित है। मनुष्य और समाज इनके बिना नहीं रह सकता। चाहे समारोह धार्मिक हो या धर्मनिरपेक्ष, शिष्टाचार विधियाँ मनुष्य समाज के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि भारत में अभी भी औपनिवेशिक समय में चलाई गई शासकीय परंपराएं राजकीय कार्यक्रमों व समारोहों में अपनाई जाती है, निस्तेज हो चुकी इन शासकीय परम्पराओं को हटाने की आवश्यकता है। ऐसा ही एक कार्यक्रम था प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह।

नदियों का पुनर्जीवन, जीवन का पुनर्जीवन | Reviving Rivers, Reviving Life

फरवरी २०१३ में, आर्ट ऑफ लीविंग (जीवन जीने की कला) के स्वयंसेवकों के एक छोटे समूह ने बैंगलोर के बाहरी क्षेत्र में, चार दशकों से अधिक समय से सूखी, कुमुदवती नदी को पुनर्जीवित करने हेतु एक परियोजना पर...

पुनर्विचार का समय : भगवे की लहर तथा धर्मनिरपेक्षता का पतन | Time to Rethink : Saffron Surge and the Secular Debacle

“जो दिखाई देता है वह नहीं है और जो दिखाई नहीं देता वह है”, यह पुरानी कहावत है, जो कि भारतीय राजनीति का बहुत सही प्रतिपादन करती है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) स्वयं...