भारतवर्ष को एक नयी क्रांति की आवश्यकता है | India Needs a New Revolution

भारतवर्ष ने भले ही स्वतंत्रता ७५ वर्ष पूर्व प्राप्त करी, किंतु उसकी परम्परा में सदा ही विचारों की, अभिव्यक्ति की, और धर्म की स्वतंत्रता निहित रही है।

दुनिया की यह सबसे पुरानी विद्यमान सभ्यता हृदय से युवा और जीवंत है जिसमें वेदों के शाश्वत ज्ञान के साथ साथ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सुंदर सह-अस्तित्व है।

योग: अनंत से एकत्व | Yoga: Bending it to Infinity!

अब जबकि विश्व चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है, तो पुनः वह समय आ गया जब मानव के अन्तर्विकास की इस प्राचीन कला का महत्‍व और बढ़ने वाला है। पिछले चार वर्षों से मिल रहे वैश्विक संरक्षण के लिए सभी को धन्यवाद, योग की स्वीकृति और लोकप्रियता ने बहुत से अवरोधों को दूर किया है। अनुप्रयोगों, अपेक्षाओं और धारणाओं की विस्तृत श्रृंखला से योग के बहु-आयामी प्रयोग एवं साथ ही आज के आधुनिक युग की बीमारियों के सर्वोत्‍तम उपचार देखने को मिलते हैं।

समान, फिर भी भिन्न | Same Yet Different

प्रकृति में हर क्षण अनंत सहजता और रचनात्मकता प्रकट होती रहती है। हर सुबह सूर्य उदय होता है पर प्रतिदिन सूर्योदय कुछ अलग प्रकार से सुंदर होता है। यदि हम जीवन के अनुभवों को देखें तो हर रोज सब कुछ...

प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह : कुछ विचार | Reflections on Prime Minister Modi’s Swearing in Ceremony

सार्वजनिक कार्यक्रमों में रस्में तथा शिष्टाचार विधियाँ आवश्यक रूप से सम्मिलित है। मनुष्य और समाज इनके बिना नहीं रह सकता। चाहे समारोह धार्मिक हो या धर्मनिरपेक्ष, शिष्टाचार विधियाँ मनुष्य समाज के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि भारत में अभी भी औपनिवेशिक समय में चलाई गई शासकीय परंपराएं राजकीय कार्यक्रमों व समारोहों में अपनाई जाती है, निस्तेज हो चुकी इन शासकीय परम्पराओं को हटाने की आवश्यकता है। ऐसा ही एक कार्यक्रम था प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह।

भूतकाल का अवलोकन और भविष्य पर दृष्टि | Looking Back, Looking Ahead

उत्सव मनाने के लिए कोई भी कारण हो अच्छा होता है, क्योंकि उत्सव मनाना हमारी आत्मा का स्वभाव है। नये वर्ष का आरम्भ ,वह समय है, जब उत्सव मनाने का उत्साह पूरे विश्व पर छा जाता है। इसी के साथ यह एक सुनहरा...