योग: स्थिर मन | Yoga: Stilling the Mind

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अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक समुदाय में एक नया मुद्दा गर्मजोशी के साथ उठाया गया है। हमारे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राज्य सामान्य सभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) का प्रस्ताव रखा, जिस का समर्थन अनेक क्षेत्रों से हुआ, कांग्रेस के बहुत से प्रतिनिधियों और राष्ट्रपति ओबामा ने भी योग में अपनी रुचि दिखाई है।

प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान व मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलने वाले लोगों तथा विश्व की प्रत्येक संस्कृति व पृष्ठभूमि के लोगों के जीवन की मुख्यधारा में भी योग की अवशोषित हो गया है। अब यह वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र में भी पहुंच गया है। अच्छी सरकार व शासन प्रणाली के लिए बहुआयामी प्रतिभा व कौशल की आवश्यकता है और योग कौशल को कार्य में परिवर्तित कर देता है। वास्तव में यह राजयोग कहलाता है क्योंकि प्राचीन समय में यह राजाओं तथा राजकुमारों द्वारा अभ्यास किया जाता था।

पश्चिमी देशों में योग बहुत लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह वज़न कम करने का तथा शारीरिक व्यायाम का उत्तम उपाय है, और लोगों को कई बीमारियों जैसे तनाव, चिंता,व्यावसायिक तनाव से थकान, व्यसन और अनिद्रा से राहत मिल रही है। योग करने से अनेक रोगों का इलाज संभव है क्योंकि इसके अंदर उपचारात्मक तत्व मौजूद है। इसके साथ-साथ योग गहराई में छिपी हुई क्षमताओं का भी परिचय कराता है और उनको बढ़ाने का सामर्थ्य देता है।

यह हमारे अस्तित्व के अनेक स्तरों पर गहन प्रभाव डालता है। जहां अलग-अलग योग मुद्राएं और आसन शरीर को लचीला बनाते हैं वहीं प्राणायाम और ध्यान मन को भीतर गहराई में ले जाते हैं। हमारे भीतर एक अज्ञात आयाम खुल जाता है और जीवन में अनेक समृद्ध अनुभव होने लगते हैं। योग के काफी फायदे है – जैसे यह स्वास्थ्य को बढ़ाता है, स्मृति और एकाग्रता में सुधार करता है, बुद्धि को तेज करता है, तंत्रिका तंत्र को तनाव मुक्त करता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। इससे हमारे अंदर पूर्वाभास की शक्ति बढ़ जाती है जिसकी रचनात्मक कार्यों को करने तथा लेखकों के सामने आने वाली चुनौतियां के लिए बहुत अधिक आवश्यकता होती है।

योग विषय के सबसे प्राचीनतम ज्ञात ग्रंथ महर्षि पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार, मन की अनेक विकृतियों से मुक्ति योग के द्वारा संभव है । यदि हम मन का अवलोकन करें तो हमें ज्ञात होगा कि यह सदैव पांच बातों में उलझा रहता है:

  1. उत्तरों व प्रमाण को ढूंढना
  2. निष्कर्ष निकालना
  3. सोचना और कल्पना करना
  4. भूतकाल की घटनाओं अथवा स्मृतियों को याद करना
  5. स्वप्न देखना

जब मन इन सब बातों में उलझा हुआ नहीं होता, तब योग द्वारा परम सत्ता से जुड़ाव हो जाता है। जागृत अवस्था में आप केवल देखने, सुनने, स्पर्श करने और स्वाद में उलझे रहते हो और जब यह नहीं कर रहे होते हो तो नींद में या स्वप्नावस्था में चले जाते हो तब आप पूरी दुनिया से कट जाते हो। शरीर में एकत्रित तनाव से मुक्ति व शारीरिक तंत्र के लिए आवश्यक गहन विश्राम इनमें से किसीसे भी नहीं मिलता।

शारीरिक क्षेत्र में परिणाम पाने के लिए प्रयत्न करने पड़ते हैं। मन के क्षेत्र में, अप्रयत्न होना पड़ता है। उदाहरणतः आप प्रयत्न करने से विश्राम नहीं कर सकते और न ही नींद में जा सकते हैं, वस्तुतः प्रयत्न से हम अधिक सक्रिय हो जाते हैं। अप्रयत्न की स्थिति तक पहुंचने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। गहन विश्राम की कला से आप की क्षमता बढ़ जाती है और आप अपने कार्यों को अधिक प्रभावशाली ढंग से कर पाते हो। आसक्ति श्वास लेने जैसा है, परंतु केवल श्वास लेना ही पूर्ण प्रक्रिया नहीं है, छोड़ना भी इसका हिस्सा है और यह है विरक्ति। जीवन इन तीन आयामों के मध्य संतुलन का नाम है – आसक्ति, विरक्ति व करुणा।

प्रायः अनुशासन का पालन करते हुए हमें अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का त्याग करना पड़ता है परंतु योग एक ऐसा अनुशासन है जो आंतरिक मुक्ति का मार्ग खोलता है, यह बातें विरोधाभासी लग सकती हैं। अभ्यास के साथ आप अपने मन को विभिन्न आयामों में कुशलता पूर्वक लेकर जाने में सक्षम हो जाते हो, जैसे बाहरी दुनिया के साथ जुड़ते हुए और उससे अलग होते हुए, आसक्ति और विरक्ति के बीच, अपने अंदर की यात्रा पर आसान हो जाता है। मन की इस कला में पारंगत होने से आप अपने मन के नियंत्रक या गुरु बन जाओगे और जब आप अपने मन को जीत लोगे तब आप सारे विश्व को भी जीत लोगे।

विश्व योगासन चुनौती, २०१४.Yogathon 2014

 

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