उत्तराखंड राहत कार्य | Uttarakhand Relief Work

जुलाई 8, 2013 | | 2 min read

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हमारे स्वयंसेवकों द्वारा उत्तराखंड के त्रासदी ग्रस्त क्षेत्र में  किये जा रहे राहत कार्यों के बारे में मेरे पास निरन्तर सूचनाएं आ रही हैं। मैं वहाँ पर किये जा रहे अथक साहसिक कार्यों का अवलोकनआप सब से सांझा करना चाहूंगा।

  • देश के विभिन्न भागों से राहत सामग्री के 100 ट्रक उत्तराखंड में भेजे गए।
  • 300 स्वयंसेवकों का दल क्षेत्र के विभिन्न भागों में कार्यरत है।
  • हमारे स्वयंसेवक अर्धसैनिक बलों और आपदा प्रबंधन टीम के साथ मिलकर बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।
  • भोजन सामग्री, दवाइयां तथा आवश्यक सामान इकट्ठा करने व बांटने के अतिरिक्त, वे त्रासदी में बचे लोगों के लिए आघात-राहत कैंप भी आयोजित कर रहे हैं। त्रासदी की भीषणता और ख़राब मौसम के कारण, राहत कार्य काफी दुष्कर हो रहा है।
  • स्वयंसेवक फंसे हुए परेशान लोगों को सांत्वना प्रदान कर, उन्हें समझा रहे हैं कि बचाव कार्य में देर होने के क्या कारण हैं। इसके साथ ही लोगों के डर को दूर करने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य भी कर रहे हैं।
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स्वामी दिव्यानंद और स्वामी विश्वचैतन्य उत्तराखंड में राहत कार्यों का समायोजन कर रहे हैं।

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देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर जीवित बचे लोगों को हैलीकॉप्टरों में बिठा कर लाया जा रहा है। स्वयंसेवक भारतीय वायुसेना का सहयोग, राहत कार्यों की टीम के साथ मिल कर आपूर्ति सामग्री भिजवाने में मदद तथा सुरक्षित बचे लोगों को परामर्श सेवा दे रहे हैं।

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हेलीकॉप्टरों में राहत सामग्री लोड हो रही है।

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चिकित्सकों के दल ने स्वयंसेवकों के सहयोग से चिकित्साशिविर लगाये।

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त्रासदी में सुरक्षित लोगों की देखभाल और ध्यान रखते हुए स्वयंसेवक।

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बहुत से युवा आगे आए और उन्होंने भोजन सामग्री तथा अन्य राहत सामग्री दूरदराज के गांवों में पहुंचाई। इन गाँवो में बचे हुए लोग टूर गाइडों के परिवारों के हैं, जिन्हें उनके वापिस आने की प्रतीक्षा है। उनका सब सामान व पशु पानी में बह गए हैं। इन युवाओं ने दल बनाकर ऐसे दुर्गम व दूरदराज के गांव में राहत सामग्री पहुंचाई और गांव के लोगों के दल बनाएं जो कि इन अस्थाई आपूर्ति केंद्रों से राहत सामग्री ले जाकर अपने गांव में बांट सके।

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राहत सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए ढके हुए बंद स्थानों की कमी।

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घरों से मलबा साफ करने में सहायता करते हुए।

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क्षतिग्रस्त सड़कों के पुनर्निर्माण करने वाले BRO GREF के लोगों के लिए तनाव मुक्त करने के सत्र का आयोजन।

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निरंतर बचाव कार्य में जुटे सेना के जवानों में पैदा तनाव तथा थकान को दूर करने के लिए ध्यान शिविर लगाया गया, जिससे वे पुनरुत्साहित होकर अपना काम दुगनी उर्जा से करने लगे।

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ऊपरी इलाकों के गांव तक पहुंचने के रास्ते सड़कों के पूरी तरह टूट जाने से बहुत खराब थे।

अब तक ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, धारासू, साईगुल( टिहरी), चिन्याली, श्रीनगर, हरसिल, खराबी, घोचर, चंद्रापुरी, हनुमान छत्ती, उत्तरकाशी, रणछत्ती, श्रीकोट, अगस्त्यमुनि, उखीमठ, कुंड, अरखुंड, कोटमा, सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण, अठाली, तिलवारा और मथाली में राहत शिविर लगा दिए गए हैं। लोगों को निकालने के बाद, सड़कों को उन स्थानों तक पहुंचने के लिए साफ किया जा रहा है, जो पिछले दिनों में पूरी तरह कट गए थे। इन स्थानों पर राहत सामग्री पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती थी। बचे हुए लोगों को आश्वासन देना तथा समझाना कि इन शिविरों में से आकर राहत सामग्री ले कर जाएं, एक कठिन काम था। क्योंकि इन स्थानों की दूरी कई किलोमीटर थी और खच्चरों पर बैठकर जाना भी बहुत कठिन था।

राहत कार्य में जुड़े हुए सशस्त्र बल ,स्वयंसेवी संगठन व स्वयंसेवकों सभी ने प्रतिदिन बहुत सी चुनौतियों का सामना किया। उनके प्रयास और आत्मविश्वास ने हमको याद दिलाया कि आज भी समाज में बहुत अच्छाई है। जो लोग भी उत्तराखंड जाकर सहायता करना चाहते हैं इन नंबरों पर संपर्क करें:

श्वेता गोलानी: 98372 46267

भारतेंदु सेठी: 9896 7907 34विजय रादडिया 9 32738 7873

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