नेतृत्व : भीड़ से आंदोलन तक | Leadership: From Mob to Movement

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लोगों के प्रति गहन प्रेम व करुणा की अभिव्यक्ति ही नेतृत्व है। यह आदर्शों के प्रति कटिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। इस रूप में यदि देखा जाए तो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर कहीं न कहीं नेतृत्व की भावना छिपी होती है। चुनौती तब होती है, जब व्यक्ति को इसे पोषित करना पड़ता है।

एक सच्चे नेता को चाहे वह राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक हो, उसे बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी प्रतिबद्धता दिखाने की क्षमता सब व्यक्तियों में अलग अलग होती है। यह प्रायः किसी की पसंद व नापसंद पर आधारित होती है। जबकि एक नेता को सबको समभाव से देखना होता है, सबके मूल्यांकन के लिए समान मानदंड बनाने होते हैं। सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए, उस में विवेक के साथ बौद्धिक कौशल का होना भी आवश्यक है।

व्यक्ति जिस समाज में रहता है तथा जिस समूह का प्रतिनिधित्व करता है, वह एक जैसे नहीं होते और न ही वह सभी को संतुष्ट कर सकता है। परंतु एक नेता को सब को अपने साथ लेकर चलना पड़ता है तथा सब के साथ न्याय करना होता है। एक नेता को आलोचना सहने के लिए तैयार रहना चाहिए और किसी भी स्थिति पर अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। प्रायः नेता चापलूसों से घिरे रहते हैं, जो कि स्वार्थ पूर्ति के लिए उनके अहं की पुष्टि करते रहते हैं। एक नेता को अपने आसपास के लोगों पर निर्भर होना ही पड़ता है। पर इसके साथ उसे सावधान भी रहना चाहिये कि कहीं वह पूरी तरह उन पर आश्रित होकर केवल अपने सहयोगियों के साथ किले में बंद सा न हो जाये या फिर केवल अपने प्रशंसकों से ही घिरा रहने वाला न हो जाए।

एक सच्चे नेता में प्रमुख गुण होता है – अपने आलोचकों की तरफ हाथ बढ़ाने का साहस व उनकी बात सुनने का धैर्य। एक सच्चा नेता अपने द्वार पर आई असफलता को भी उसी सहजता से लेता है, जैसे सफलता को। आजकल नेता अपने प्रत्येक कार्य में रक्षात्मक रवैया अपनाते हुए, अपनी कमियों की सफाई देते या अपने गलत कार्यों को सही सिद्ध करने का प्रयास करते दिखते हैं। सच्चा नेता न तो शिकायत करता है और न सफाई देता है तथा सदैव नया सीखने के लिए तत्पर रहता है। पिछली भूलों को स्वीकार करते हुए अपनी विचारधारा से पूरी तरह भिन्न, दूसरों के विचारों को भी स्थान देता है; ऐसा नेता सभी जगह स्वीकारा जाता है और वैश्विक होता है। एक अच्छा नेता कभी भी अपना उत्तरदायित्व दूसरे लोगों पर नहीं मढ़ता।

एक सच्चा नेता आदर्श और व्यवहारिकता में संतुलन बनाता हुआ, सीमित समय की जरूरतों के साथ लंबे समय के लक्ष्य निर्धारित करता है। जो केवल आदर्शात्मक विचारधारा से चिपके रहते हैं, वे अच्छे नेता नही बन पाते और जो स्वयं को आदर्श रहित बहुत व्यवहारिक मान कर चलते हैं वे भी असफल सिद्ध होते हैं।

एक नेता न तो सामान्य हो सकता है और न विशिष्ट। उसको लोगों की तरफ व्यक्तिगत ध्यान और जिस समूह,समुदाय या देश का वह नेता है, उस की तरफ व्यापक ध्यान देते हुए संतुलन बनाना पड़ता है।

एक नेता के अंदर अपने कमजोर क्षणों को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए। उसको समझना होगा कि जनता उदार होती है। जनता से कुछ छुपाने के जगह वह उसके सच्चाई तथा स्पष्टता की प्रशंसा करेगी और उसकी की कमियों को भी स्वीकार कर लेगी।

कुछ नेता बहुत अधिक राजनयिक होते हैं और कुछ बहुत स्पष्टवादी होते हैं। जनता ना तो ऐसे नेता को सम्मान देती है जो बहुत अधिक राजनीतिक दांव पेच करते हैं और ना ही उनका सम्मान करती है,जो स्पष्टवादिता के चक्कर में बहुत अधिक कटु व्यवहार करते हैं। ऐसे नेताओं के कोई अनुयायी भी नहीं होते। यह एक प्रकार से गिटार के सभी तारों के बीच सामंजस्य करना हैँ, यदि तार बहुत अधिक खींच दिए जाएंगे तो उसमें से संगीत नहीं निकलेगा और यदि तारों को ढीला छोड़ दिया जाएगा तब भी संगीत नहीं बजेगा। इसी प्रकार एक अच्छे नेता को राजनीति और स्पष्टवादिता के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।

स्वयं को ही सही माननेवाले लोग बाकी लोगों से अलग हो जाते हैं, उसी प्रकार हर अच्छे काम का सेहरा अपने सिर पर बांधने वाले लोग भी बाकी लोगों से दूर हो जाते हैं। एक अच्छे नेता को अन्य लोगों के योगदान का सम्मान करते हुए इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उनकी प्रशंसा उनके अभिमान का कारण न बन जाए।

एक नेता भीड़ जुटा सकता है, परंतु उसको ध्यान रखना होगा की भीड़ थोड़े समय के लिए ही जुट सकती है। एक अदूरदर्शी नेता भीड़ तो इकट्ठी कर लेता है, लेकिन एक बुद्धिमान नेता आंदोलन का निर्माण करता है। महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर ऐसे प्रेरणादायक नेताओं के उदाहरण है जिन्होंने बड़े आंदोलन खड़े किए।

यह सब बातें चाहे काल्पनिक लगती हो, परंतु वास्तविकता में यदि आप सफल नेताओं के जीवन को बारीकी से देखोगे तो यह सारे गुण प्राकृतिक रुप से उनके अंदर किसी ना किसी समय पर उजागर हुए थे। तुम को अपने अंदर यह गुण बढ़ाने के लिए बहुत अधिक प्रयास नहीं करने पड़ेंगे केवल उनके प्रति जागरूकता ही आपको अच्छा नेता बनाने के लिए काफी है।

एक अच्छे नेता बने, दुनिया को आप की आवश्यकता है।

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