प्रतिबंध सदैव कारगर नहीं होते | A Ban Doesn’t Always Work

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कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम के विषय में विवाद व तमिलनाडु में उस पर प्रतिबंध पर बहुत कुछ कहा गया है। मजेदार बात यह है कि कुछ माह पहले एक और फिल्म आई थी जिसमें सारे हिंदू रीति रिवाजों और प्रतीकों को नकली दिखाया गया तथा सभी धर्म गुरुओं को धोखेबाज बताया गया। बहुत से हिंदू दल विरोध के लिए तैयार थे, परंतु मैंने उन्हें समझाया कि इस फिल्म के विरोध में प्रदर्शन करके बेकार में उसको अनुचित प्रचार प्रसार मत दो। यही हुआ ,वह फिल्म केवल एक सप्ताह चली, फिर लोग उसके बारे में भूल गए। यदि तुम किसी फिल्म को लोकप्रिय बनाना चाहते हो तो इस पर प्रतिबंध लगाओ, इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करो। ऐसा सब करने से फिल्म बनाने वालों को ही फायदा होगा और जब उनको इसका स्वाद लग जाएगा तो फिर बार बार इसी प्रकार की फिल्में बनाने लगेंगे।

लोग जानते हैं की फिल्में केवल कल्पना हैं और उनको गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। इस फ़िल्म में जो कुछ भी दिखाया गया तथा कहा गया उसके बावजूद भी, इस के कलाकार स्वयं मंदिर जाते हैं। यह फिल्म मूर्ति पूजा बंद नहीं करवा सकी और न ही लोगों ने आश्रमों में जाना छोड़ा। इस प्रकार, यह फिल्म न तो हमारी संस्कृति में कोई बड़ा बदलाव ला सकी और न लोगों पर अपना कोई प्रभाव छोड़ पाई । इसी प्रकार ‘दा विंसी कोड’ जीसस के ऊपर बनी फिल्म थी, जो कि कुछ वर्ष पहले आई थी। यह सारी दुनिया में दिखाई गई, यहां तक कि इटली में भी चली, परंतु तमिलनाडु में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

इस दुनिया में  हर स्थान पर या हर बात पर आप कानूनन प्रतिबंध नहीं लगा सकते। कई ऐसी चीजें जिन पर प्रतिबंध लगा होता है, वह उसके बावजूद कई जगहों पर मिलती रहती है। जैसे सलमान रुश्दी की पुस्तकें और ‘दा विंसी कोड’ के डी वी डी। मैं मुस्लिम समुदाय से भी अपील करुंगा कि वह विश्वरूपम फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए जोर न दें, क्योंकि यह शायद क़ानूनन सम्भव नहीं हो पायेगा। ऐसा करने से न केवल अन्य समुदाय बल्कि स्वयं मुस्लिम भी यह जानने के लिए उत्सुक हो जायेंगे कि इसमें क्या गलत बातें लिखी गई या दिखाई गई है।

प्रतिबंध के बाद भी लोग उन चीजों को खरीदने के रास्ते निकाल ही लेते हैं। पहले से ही इस फिल्म की प्रतिलिपियां इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। लोग सामाजिक मीडिया पर इतने अधिक सक्रिय है कि कोई भी किसी के भी विषय में कुछ भी लिख देता है, या अपनी भावनाएं प्रकट कर देता है। इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसी परिस्थिति में, मात्र विरोध करने से कुछ विशेष अंतर नहीं पड़ता। बल्कि इसके परिणाम आपकी सोच के विपरीत भी हो सकते हैं और हो सकता है कि ज्यादा लोग इस फिल्म को देखना चाहेंगे। प्रतिबंध लगाने से मुस्लिम समुदाय को पूरी दुनिया में बदनामी मिलेगी कि वे उग्रवादी या असहिष्णु या सांस्कृतिक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे मुसलमान भाइयों पर इस तरह के आरोप लगाए जाएँ। कई सदियों से हिंदू और मुस्लिम एक साथ आपसी भाईचारे के साथ रह रहे हैं। मैं अपने मुस्लिम भाइयों का आश्वासन देना चाहता हूं कि तमिलनाडू में हिंदू और मुसलमानों के बीच परस्पर आदर की भावना इतनी मजबूत है कि कोई भी इस गठबंधन को तोड़ नहीं सकता। मुझे नहीं लगता कि कोई एक फिल्म दोनों समुदायों के सुदृढ़ सम्बन्धों में बदलाव ला सकती है।

यदि कोई भी किसी समुदाय के नबी, संत, गुरु या रीति रिवाजों का अपमान करता है, तो उस बात पर केवल हँसा ही जा सकता है। ऐसे बहुत से वीडियो बाजार में उपलब्ध हैं जो कि दुनिया के प्रत्येक धर्म का अपमान करते हैं। यहां तक कि तमिलनाडु में ही ऐसी सैंकड़ों फिल्में बनी हैं जिनमें हिंदू धर्म को बुरा बताया है। पर आज तक हिंदुत्व को चोट नहीं पहुंची। मेरा कहना है कि सबसे बढ़िया यही होगा कि ऐसी बातों पर ध्यान मत दो और आगे बढ़ो। कमल हासन ने कहा है कि उसका किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। हमें उसे संदेह का लाभ देते हुए इस विषय को छोड़ कर आगे बढ़ जाना चाहिए। यही मुस्लिम संप्रदाय के नेताओं के लिए मेरा आग्रह होगा।

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