विश्व सांस्कृतिक महोत्सव पारस्परिक विश्वास के लिए मंच ऊपलब्ध करता है | World Culture Festival Sets Stage for Inter-faith Convergence

आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्य | Updated: | 2 min read


विश्व सांस्कृतिक महोत्सव पारस्परिक विश्वास के लिए मंच ऊपलब्ध करता है | World Culture Festival Sets Stage for Inter-faith Convergence  

विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का दूसरा दिन इस आशा के साथ मनाया गया कि मत और विश्वासों में भेद के बावजूद दुनिया एक साथ आ कर शांति के लिए कार्य कर सकती है। भारत के धर्मनिरपेक्ष और एकजुट प्रकृति का साक्षी बना विश्व सांस्कृतिक महोत्सव, सद्भाव के संदेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मतावलम्बियों एवं आध्यात्मिक गुरुओं के एक साथ आ कर मंच साझा करने का भी साक्षी बना।

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12 मार्च 2016
नई दिल्ली, भारत

विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का दूसरा दिन इस आशा के साथ मनाया गया कि मत और विश्वासों में भेद के बावजूद दुनिया एक साथ आ कर शांति के लिए कार्य कर सकती है। भारत के धर्मनिरपेक्ष और एकजुट प्रकृति का साक्षी बना विश्व सांस्कृतिक महोत्सव, सद्भाव के संदेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मतावलम्बियों एवं आध्यात्मिक गुरुओं के एक साथ आ कर मंच साझा करने का भी साक्षी बना। उपस्थित लोगों में महामहिम बिशप मार्सेलो सांचेज सोरोंडो, पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज के चांसलर, पोंटिफिकल एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के चांसलर, होली सी (वेटिकन) और परम पूज्य स्वामी अग्निवेश जी, संस्थापक, बंधुआ मुक्ति मोर्चा प्रमुख थे।

भिन्न मतावलम्बी नेताओं के प्रतिनिधित्व और लगभग 10 लाख लोगों की भीड़ से मिले प्रतिसाद की तीव्रता ने साबित कर दिया था कि डब्ल्यूसीएफ ने मतभेदों से घिरे विश्व में शांति की आशा को फिर से जागृत करने का दुष्कर कार्य कर दिखाया है। विश्व संस्कृति महोत्सव का दूसरा दिन उन कलाकारों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले प्रदर्शनों के लिए भी जाना जाएगा जो संसार के कोने-कोने से विश्व की सबसे बड़ी सभा में वसुधैव कुटुंबकम समारोह का एक भाग बनने के लिए देश की राजधानी में एकत्र हुए थे|

विविधता को गले लगाने और एकजुटता की भावना को आत्मसात करने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा करते हुए गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि “यहाँ सभी धर्मों और राष्ट्रों से लोग यह सन्देश देने आए हैं कि हम एक परिवार हैं। यह क्षेत्रीय चेतना से राष्ट्रीय चेतना और फिर सार्वभौमिक चेतना तक का वह विकास है जिसकी मानव जाति तलाश कर रही है। हमारे पड़ोसी नेपाल और भूटान से आए लोगों को देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आज हमारे बीच सीरिया के महान मुफ्ती भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद हैं। यहां इराक, लेबनान और जॉर्डन से भी लोग पधारे हैं। हम सभी को उन मानवीय मूल्यों के प्रति जागृत होने की आवश्यकता है जिसका युगों से सभी धर्मों में उल्लेख किया गया है। चिर काल से सभी धर्मों ने हमेशा एक बात कही है – और वह है मानवता का उत्थान। धर्म का भी वास्तव में ठीक यही अर्थ है: धर्म वह है जो हमें पकड़ के रखता है, हमारा उत्थान करता है, और हमें भटकने नहीं देता या नकारात्मकता में गिरने से बचाता है। ”

शांति और एकता की भावना जो कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की पहचान है, भारत और विदेश के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और राज्य के नेताओं की उपस्थिति से परिलक्षित हुई। अन्य लोगों के साथ-साथ माननीय राजनाथ सिंह, गृह मंत्री, भारत; माननीय मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री, भारत; माननीय सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री, भारत; माननीय उमा भारती, जल संसाधन मंत्री, भारत; माननीय श्री जे.पी. नड्डा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, भारत और माननीय मनीष सिसोदिया उप-मुख्यमंत्री, दिल्ली, भारत ने उपस्थित हो कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

इस गौरवशाली शाम को उपस्थित राज्यों के प्रमुखों में माननीय वसुंधरा राजे सिंधिया, मुख्यमंत्री, राजस्थान, भारत; माननीय शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, भारत और माननीय देवेंद्र फड़नवीस, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र, भारत प्रमुख थे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्तियों में माननीय नजीब जंग, लेफ्टिनेंट जनरल ऑफ दिल्ली, भारत और माननीय मृदुला सिन्हा, राज्यपाल, गोवा थीं।

जब देश भर से आए कलाकारों ने विभिन्न कला विधाओं के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया तो भारत को समृद्ध करने और राष्ट्र का उदार चरित्र प्रकट करने वाली विविधता साफ़ झलक रही थी। प्रत्येक प्रदर्शन का एक- दूसरे के महत्व को बढ़ाना हमारे सांस्कृतिक सम्मिलन का द्योतक है।

आर्ट ऑफ लिविंग ने पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ साझेदारी में सौर गठबंधन के एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। सौर ऊर्जा को उपयोग में लेने, पर्यावरण को बचाने, स्वच्छ एवं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की कमी को दूर करने के इस उपक्रम का शुभारम्भ भारत सरकार के सक्रिय समर्थन एवं पहल से हुआ है।

दूसरे दिन के प्रमुख प्रदर्शनों में महाराष्ट्र और मारुणी के 1000 से अधिक कलाकारों के नेतृत्व में ढांगरी ढोल (ड्रम) तथा 350 से अधिक नर्तकियों द्वारा सिक्किम राज्य का सबसे पुराना और सबसे लोकप्रिय नृत्य प्रदर्शन उल्लेखनीय है। इसके आलावा मध्य प्रदेश के 200 से अधिक लोक नर्तकों द्वारा गुदुम बाजा का प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया तो वहीँ दूसरी और पंजाब के 1000 से अधिक कलाकारों के ढोल और गिरदा के ऊर्जा से भरपूर धुन पर उपस्थित दर्शक झूम उठे। छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों के लोक कलाकारों ने जब अपने-अपने राज्यों की विरासत को प्रदर्शित किया तो लोग सबकुछ भूल के मंत्रमुग्ध हो गए। इसके अलावा शाओलिन भिक्षुओं की पसंद ‘मार्शल आर्ट्स’ जैसे अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शन भी समान रूप से प्रभावशाली थे।

Faith-Leaders-meet-at-World-Culture-Festival
विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में धार्मिक नेताओं की बैठक
Rev. Dr. Gerald El. Durley, Pastor of Providence Missionary Baptist Church, United States of America
रेव. डॉ. जेराल्ड एल दुर्ले, प्रोविडेंस मिशनरी बैपटिस्ट चर्च, अमेरिका के पादरी
Ven Master Kong Xing, Buddhist Association of China
वेन मास्टर कोंग जिंग, बौद्ध संघ चीन
Dr. Ahmad Badreddin Hassoun
डॉ अहमद बदरुद्दीन हसौं
Rajnath Singh and Sushma Swaraj and Manish Sisodia
राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और मनीष सीसोदिया
Dhol Maharashtra
ढोल महाराष्ट्र

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